Sarvepalli Radhakrishnan – जानिए कौन है, सर्वपल्ली राधाकृष्णन

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Sarvepalli Radhakrishnan Biography in Hindi – family, political career, education, age, wife, bio, story, achievements, and contributions in India ( डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवनी हिंदी में – परिवार, राजनीतिक कैरियर, शिक्षा, आयु, पत्नी, जीवनी, कहानी, उपलब्धियां, और भारत में योगदान )

सर्वपल्ली राधाकृष्णन कौन है? (Who is Sarvepalli Radhakrishnan)

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जिन्हे 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में भी जाना जाता है। इनका जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु में हुआ था। यह एक भारतीय दार्शनिक, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे, जिन्होंने 1962 से 1967 तक भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। इसके अलावा उन्होंने साल 1952 से 1962 तक भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति के रूप कार्य किया। सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारत देश में अपना अहम योगदान देने के लिए वर्ष 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

Sarvepalli Radhakrishnan Biography In Hindi

name/नामसर्वपल्ली राधाकृष्णन
know for/जाने जातेशिक्षक दिवस के रूप में
DOB/जन्म तिथि5 सितंबर 1888
birthplace/जन्मस्थानतमिलनाडु
profession/पेशाशिक्षक, दार्शनिक, राजनीतिज्ञ
family/परिवारपिता – सर्वपल्ली वीरस्वामी
माता – सर्वपल्ली सीताम्मा
पत्नी – शिवकामु राधाकृष्णन
बच्चे – बेटा (सर्वपल्ली गोपाल) 5 बेटी ( नाम ज्ञात नहीं )
wife/पत्नी शिवकामु राधाकृष्णन
post /पोस्टभारत के पहले उपराष्ट्रपति
भारत के दूसरे राष्ट्रपति
award/पुरस्कारभारत रत्न (1954)
टेंपलटन पुरस्कार (1975)
religion/धर्महिंदू
death/निधन17 अप्रैल 1975
death place/मृत्यु स्थानचेन्नई
nationality/राष्ट्रीयताभारतीय
Sarvepalli Radhakrishnan Biography In Hindi

सर्वपल्ली राधाकृष्णन जन्म और प्रारंभिक जीवन (Sarvepalli Radhakrishnan Birth and Family)

बीसवीं सदी के विद्वानों में से एक सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुवल्लूर गांव के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरस्वामी था, जो एक विद्वान् ब्राह्मण तथा राजस्व विभाग में कार्य करते थे। तथा उनकी माँ का नाम सर्वपल्ली सीताम्मा था। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का बचपन गाँव में ही बिता और परिवार को चलने की की पूरी जिम्मेदारी राधाकृष्णन के पिताजी पर ही थी।

इसके पिताजी बड़े ही कठिनाइयों के साथ अपने परिवार का पालन – पोषण कर रहे थे। सर्वपल्ली राधाकृष्णन के पाँच भाई और एक बहन थी जिसमे सर्वपल्ली राधाकृष्णन का दूसरा स्थान था। केवल 16 वर्ष की उम्र में साल 1903 में इनका विवाह शिवकामु के से साथ हुआ। जहाँ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की उम्र 16 वर्ष थी वही विवाह के समय उनकी पत्नी की उम्र मात्र 10 वर्ष थी। साल 1956 में उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई थी।

Sarvepalli Radhakrishnan Education ( सर्वपल्ली राधाकृष्णन प्रारंभिक शिक्षा)

अगर बात करे सर्वपल्ली राधाकृष्णन की शुरूआती शिक्षा की, तो उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मद्रास के वी हाई स्कूल तिरुत्तानी में हुई थी। 1896 में वे तिरुपति के हरमन्सबर्ग इवेंजेलिकल लूथरन मिशन स्कूल और सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय, वालाजापेट में चले गए।

उन्होंने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा के लिए वेल्लोर के वूरहिस कॉलेज में दाखिला लिया। अपने प्रथम कला वर्ग के बाद, उन्होंने 16 साल की उम्र में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में प्रवेश लिया। जहाँ उन्होंने 1907 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की, और उसी कॉलेज से परास्नातक (Masters) भी पूरा किया। राधाकृष्णन को उनके पूरे शैक्षणिक जीवन में छात्रवृत्तियों से सम्मानित किया गया था।

Sarvepalli Radhakrishnan Biography In Hindi

साल 1909 में, सर्वपल्ली राधाकृष्णन को मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र विभाग में नियुक्त किया गया था। बाद मेंउन्हें वर्ष 1918 में, मैसूर विश्वविद्यालय द्वारा दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में देखा गया। सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक लेखक भी थे जहाँ उन्होंने द क्वेस्ट, जर्नल ऑफ फिलॉसफी और इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एथिक्स जैसी प्रतिष्ठित श्रेष्ठ पत्रिकाओं के लिए कई लेख लिखे थे। इसके अलावा उन्होंने कई किताबे भी लिखी, जिसमे उन्होंने अपनी पहली पुस्तक, द फिलॉसफी ऑफ रवींद्रनाथ टैगोर तथा उनकी दूसरी पुस्तक, द रीगन ऑफ रिलिजन इन कंटेम्पररी फिलॉसफी 1920 में प्रकाशित हुई थी।

राधाकृष्णन ने अपने सफल शैक्षिक करियर के बाद राजनैतिक करियर की शुरुआत की। वह 1928 में आंध्र महासभा में भाग लेने वाले उन चुंनिदा राजनीतिज्ञ में से एक थे, जहां उन्होंने मद्रास प्रेसीडेंसी के सीडेड डिस्ट्रिक्ट्स डिवीजन का नाम बदलकर रायलसीमा रखने के विचार का समर्थन किया। वर्ष 1931 में सर्वपल्ली राधाकृष्णन बौद्धिक सहयोग के लिए राष्ट्र संघ समिति के लिए नामित किये गए, जहां पश्चिमी दृष्टि में वे भारतीय विचारों पर मान्यता प्राप्त हिंदू अधिकार और समकालीन समाज में पूर्वी संस्थानों की भूमिका के प्रेरक व्याख्याकार थे। जब भारत सन1947 में आज़ाद हुआ तब राधाकृष्णन ने यूनेस्को में 1946 से 1952 तक भारत का प्रतिनिधित्व किया और बाद में 1949 से 1952 तक सोवियत संघ में भारत के राजदूत बने रहे।

लेकिन डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को इस समय वह सफलता मिली जिसके लिए वह जाने जाते है। वे भारत के संविधान सभा के लिए भी चुने गए और साल 1952 में राधाकृष्णन को भारत के पहले उपराष्ट्रपति के रूप में देखा गया, जहाँ उन्होंने 13 मई 1952 से लेकर 12 मई 1962 तक इस पद पर विराजमान रहे। यही नहीं सर्वपल्ली राधाकृष्णन को साल 1962 में भारत का राष्ट्रपति बनाया गया।

आखिर क्यों मनाया जाता है, टीचर डे

1962 में जब राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति बने, तो उनके कुछ छात्रों और दोस्तों ने उनसे अनुरोध किया कि उन्हें 5 सितंबर को उनका जन्मदिन मनाने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय यह मेरे लिए गर्व की बात होगी कि 5 सितंबर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए. तभी से उनके जन्मदिन को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Political Career Highlights ( राजनीतिक करियर हाइलाइट्स )

  • भारत के दूसरे राष्ट्रपति (13 मई 1962 – 13 मई 1967)
  • भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति (13 मई 1952 – 12 मई 1962)
  • सोवियत संघ में भारत के दूसरे राजदूत (12 जुलाई 1949 – 12 मई 1952)
  • बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के चौथे कुलपति (1939-1948)

awards (पुरस्कार)

  • भारत रत्न प्राप्तकर्ता (1954)
  • नाइट बैचलर (1931)
  • विज्ञान और कला के लिए पोर ले मेरिट का प्राप्तकर्ता (1954)
  • एज़्टेक ईगल का आदेश (1954)
  • ऑर्डर ऑफ मेरिट के मानद सदस्य (1963)

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन कौन है?

वह एक भारतीय शिक्षक, दार्शनिक, राजनीतिज्ञ थे , जिन्हे शिक्षक दिवस के रूप में जाना जाता है?

सर्वपल्ली राधाकृष्णन के पिता का नाम किया है?

उन्हें पिता का नाम सर्वपल्ली वीरस्वामी है।

सर्वपल्ली राधाकृष्णन का मृत्यु कब हुआ था?

17 अप्रैल 1975 को।

राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति कब बने?

वर्ष 1962 में।

सर्वपल्ली राधाकृष्णन क्यों प्रसिद्ध है?

एक विद्वान शिक्षक, राजनीतिज्ञ और शिक्षक दिवस के रूप में।

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नोट- यह संपूर्ण बायोग्राफी का श्रय हम डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को देते हैं क्योंकि ये पूरी जीवनी उन्हीं के जीवन पर आधारित है और उन्हीं के जीवन से ली गई है। उम्मीद करते हैं यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। हमें कमेंट करके बताइयेगा कि आपको यह आर्टिकल कैसा लगा?