Sindhutai Sapkal Story in Hindi | सिंधुताई सपकाल अनसुनी कहानी

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सिंधुताई सपकाल का जीवन परिचय – उम्र, जन्मतिथि, संघर्ष, माता-पिता, पति, सामाजिक कार्य और पुरस्कार (Sindhutai Sapkal story in Hindi – age, DOB, struggle, parents, husband, social work, and awards )

सिंधुताई सपकाल कौन है? (Who is Sindhutai Sapkal)

सिंधुताई सपकाल एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता थीं, जो अनाथ बच्चो की सहायता करती थी। इनका जन्म 14 नवंबर 1947 को महाराष्ट्र के पिंपरी मेघे’ गांव में हुआ था। बचपन से परिवार में नापसंद होने के कारण सिंधुताई को कई समस्याओ के दौर से गुजरना पड़ा। सिंधुताई ने अपना पूरा जीवन अनाथों को समर्पित कर दिया था, जिसके चलते महाराष्ट्र सरकार द्वारा उन्हें अहिल्याबाई होल्कर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। लेकिन 4 जनवरी 2022 को हार्ट अटैक के कारण सिंधुताई सपकाल का निधन हुआ था।

एक समाज कार्यकर्ता होने के चलते सिंधुताई सपकाल आज पुरे भारत में एक मिशाल बन गई है. उनके द्वारा किया गया अद्भुत कार्य लोगों के लिए प्रेरणा है। सिंधुताई को अपने शुरूआती जीवन से संघर्षो का सामना करना पड़ा लेकिन जैसे उन्होंने अपने जीवन में दुःख देखा यह दुसरो लोगों के चेहरे पर नहीं देखना चाहती थी, इसलिए उन्होने 1050 अनाथ बच्चों को गोद लेकर अनाथ बच्चो के जीवन को दुबारा से उजागर किया जिसके चलते उन्हे आज उन्हें “माई” (माँ) कहा जाता है।

Sindhutai Sapkal biography in hindi –

question (सवाल)answer (जवाब)
name/नाम सिंधुताई सपकाल
nickname/उपनामअनाथों की मां
DOB/जन्म तिथि 14 नवंबर 1947 (महाराष्ट्र,पिंपरी मेघे)
profession/पेशा सामाजिक कार्यकर्ता
parents/माता-पिताअभिमान साठे/ माँ- ज्ञात नहीं
child/बच्चाएक पुत्री, तीन पुत्र
death/मृत्यु 4 जनवरी 2022
age/उम्र73 साल ( 2021)
nationality/राष्ट्रीयता भारतीय

जन्म और बचपन (birth and childhood)

अनाथ बच्चो की मदद करने वाली सिन्धुताई सकपाल का जन्म भारत की आजादी के कुछ महीनो बाद 14 नवंबर 1947 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले के पिंपरी मेघे गाँव मे हुआ। उनके पिताजी का नाम अभिमान साठे है, जो कि एक चरवाह यानि (जानवरों को चरानेवाला) थे। जब सिन्धुताई सकपाल का जन्म हुआ तब उनको परिवार वाले नापसंद करते थे केवल उनके पिता के सिवाए। उनके पिता सिन्धुताई का समर्थन करते थे लेकिन उनकी माँ उनके शिक्षा के विरुद्ध थी, किन्तु पिता सिन्धुताई के पढाई के पक्ष में थे, इसलिए उनके पिता ने सिन्धुताई को पढ़ने के लिए अपनी पत्नी के खिलाफ जाकर सिन्धुताई को विद्यायल भेजा, हालाँकि उनकी पढाई केवल चौथी कक्षा तक ही हो पाई।

सिंधुताई का परिवार और प्रारंभिक जीवन (Sindhutai family and early life)

सिंधुताई ने अपने शुरुआती दिनों में किसी चीज़ का सुख नहीं देखा इसलिए घरवालों के कहने पर सिंधुताई की 10 साल की उम्र में 30 साल की ‘श्रीहरि सपकाळ‘ से शादी करा दी गई, जब वह 20 साल की हुई तब तक उनके 3 बच्चे हो चुके थे। लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब सिंधुताई गर्भवती थी, उन्होंने इस गंभीर परेशानी
में रात के समय यानि तबेला (जहाँ गाय और भैंस रहती है) में एक बेटी को जन्म दिया।

जब सिंधुताई को घर का सहारा नहीं मिला तो वह अपनी बेटी के साथ रेलवे स्टेशन पर रहने लगी तथा अपना और अपनी बेटी का पेट भरने के लिए भीख मांगने पड़ी। अकेले हो जाने से सिंधुताई खुद को और अपनी बेटी को सुरक्षित रखने के लिए रात भर श्मशान घाट में रुका करती। इसी बीच उन्होंने इस बेहद ख़राब स्थिति में महसूस किया कि देश में कितने अनाथ बच्चे हैं, जिन्हें कभी भी माँ का सुख नहीं मिला। इन समस्या को दूर करने के लिए सिंधुताई ने तय किया कि जो भी अनाथ बच्चा उनके पास आएगा वह उसकी मां बनेगी।

हजारों अनाथ बच्चों की बनी सहारा (Support for thousands of orphan children)

जब सिंधुताई ने तय किया की वह अनाथ बच्चो का सहारा बनेंगी तब सिंधुताई ने अपना पूरा जीवन अनाथों के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने 1050 अनाथ बच्चों को गोद लेकर उनकी सहायक बनी। उनके सभी बच्चे जिसे उन्होंने उनको गोद लिया था जब उनमे से कई बच्चे सफलता की रह पर खड़े है। उनकी यह कामियाबी को देखकर आज पूरा देश उन्हें “माई”के नाम से जनता है।

इस नेक काम के लिए सिंधुताई को अहिल्याबाई होल्कर” पुरस्कार से सम्मानित किया गया था,जो महाराष्ट्र सरकार द्वारा बच्चों के लिए काम करने के लिए मिला था। इसके आलावा सिंधुताई को 273 राष्ट्रीय पुरस्कार मिले है जिसमे कुछ अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी शामिल है। इन सभी पुरस्कार में सिंधुताई को जो भी पैसे मिलते वह उसे अपने अनाथालय जो की पुणे, वर्धा, सासवड (महाराष्ट्र) में स्थित है, वहा अनाथ बच्चो के भविष्य के लिए लगा देती थी।

सिंधुताई द्वारा संचालित संस्था (Operating Organization )

  • गंगाधरबाबा छात्रालय, गुहा शिरडी
  • सावित्रीबाई फुले मुलिंचे वसातिग्रह (अमरावती )
  • मदर ग्लोबल फाउंडेशन पुणे
  • सनमती बाल निकेतन, ( पुणे)
  • ममता बाल सदन ( कुम्भरवलन सासवड )
  • अभिमान बाल भवन (वर्धा)
  • सप्तसिंधु’ महिला आधार, बालसंगोपन आनी शिक्षण संस्थान (पुणे)
  • श्री मनशांति चतरालय, (शिरूर)
  • वनवासी गोपाल कृष्ण बहुउद्देशीय मंडल (अमरावती)

सिंधुताई सपकाल पुरस्कार (Sindhutai Sapkal Awards)

  • दत्तक माता पुरस्कार (1996)
  • अहिल्याबाई होल्कर पुरस्कार’ (2010)
  • मूर्ति माता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार (2013)
  • शिवलीला महिला गौरव पुरस्कार
  • डॉ. निर्मलकुमार फडकुले स्मृति पुरस्कार
  • डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर समाज भूषण पुरस्कार (2012)
  • प्रिंसिपल शिवाजीराव भोसले मेमोरियल अवार्ड (2015)
  • डॉ. राम मनोहर त्रिपाठी पुरस्कार (2017)
  • सामाजिक कार्य श्रेणी में पद्म श्री (2021)

सिंधुताई के जीवन पर फिल्म (Film on the life of Sindhutai)

वर्ष 2010 में सिंधुताई के जीवन पर आधारित एक मराठी फिल्म “मी सिंधुताई सपकाल” बनाई गई थी, जिसे 54वें लंदन फिल्म समारोह के लिए चुना गया था। इस फिल्म में सिंधुताई सकपाल से जुडी हर बाते बताई गई है।

सिंधुताई की मृत्यु (Sindhutai Death)

हज़ारो अनाथ बच्चो का सहारा बनने वाली सिंधुताई सपकाल 4 जनवरी, 2022 को 73 वर्ष की आयु में पुणे, महाराष्ट्र में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई, उनका अच्छे काम को देखते हुए उन्हें सदा याद किया जायेगा।

सामान्य प्रश्न (FAQ)

Q: सिंधुताई सपकाल कौन थी ?
Ans: एक सामाजिक कार्यकर्ता

Q: सिंधुताई सपकाल का जन्म कब हुआ था ?
Ans: 14 नवंबर 1947 को महाराष्ट्र में।

Q: क्या सिंधुताई सपकाल एक मराठी है ?
Ans: हां सिंधुताई सपकाल एक मराठी है।

Q: सिंधुताई सपकाल की संस्था का क्या नाम है ?
Ans: सनमती बाल निकेतन तथा और भी

Q: सिंधुताई सपकाल की मृत्यु कब हुई ?
Ans: 4 जनवरी, 2022 को (73 वर्ष की आयु में)

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नोट – हम इस पूरी बायोग्राफी का श्रेय सिंधुताई सपकाल को देते हैं। क्योकि यह पूरी जीवनी सिंधुताई सपकाल के जीवन पर आधारित है, हमने बस उनके जीवन पर प्रकाश डालने का एक छोटा सा प्रयास किया है। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताइयेगा और उम्मीद करते है आप इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करेंगे.