Razia Sultan History in Hindi | भारत की पहली महिला शासक

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Razia Sultan History in Hindi – bio, story, date of birth, religion, work, death, and some FAQ (रजिया सुल्तान का इतिहास हिंदी में – जीवनी, कहानी, जन्म तिथि, धर्म, कार्य, मृत्यु, और कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

रजिया सुल्तान कौन थी? | Who was Razia Sultan?

रज़िया सुल्तान जिन्हे रज़िया सुल्ताना के नाम से भी जाना जाता है, यह भारत की पहली महिला मुस्लिम शासक थी, जिनका जन्म 1205 में हुआ था। रज़िया सुल्ताना दिल्ली सल्तनत की सुल्तान थी। उनका 10 नवंबर 1236 को राजयभिषेक हुआ और 1236 ई० से 1240 ई० तक दिल्ली सल्तनत पर शासन किया। निडर महिला शासक रज़िया सुल्ताना का निधन 14 अक्टूबर, 1240 को कैथल, हरियाणा में हुआ था।

Razia Sultan information in Hindi | रजिया सुल्तान के बारे में

point(बिंदु)information (जानकारी)
name /नामरज़िया सुल्तान
othername/अन्य नामरज़िया सुल्ताना
DOB/जन्म तिथिवर्ष 1205
birthplace/जन्म स्थानज्ञात नहीं
work/कार्यशासक
father/पिताशम्स-उद-दिन इल्तुतमिश
mother/माँकुतुब बेगम
famous for/प्रसिद्धभारत की पहली महिला मुस्लिम शासक के रूप में
death/मृत्यु14 अक्टूबर, 1240
mausoleum/समाधिमोहल्ला बुलबुली खान, तुर्कमान गेट चांदनी चौक, दिल्ली; कैथल, हरियाणा
religion/धर्ममुस्लिम
nationality/राष्ट्रीयताभारतीय
Razia Sultan History in Hindi

Razia Sultan story in Hindi | रजिया सुल्तान की कहानी

हमारे देश में बहुत से राजाओं ने राज किया है, परंतु आज हम बात करेंगे हिंदुस्तान पर राज करने वाली पहली मुस्लिम महिला शासक की जो कि रजिया सुल्ताना थी। जब मोहम्मद गोरी ने हिंदुस्तान पर शासन किया था, तब मोहम्मद गौरी ने हिंदुस्तान पर फतह करने के बाद हिंदुस्तान की सारी बागडोर अपने सेवक कुतुबुद्दीन ऐबक को दे दी थी, उस समय कुतुबुद्दीन ऐबक हिंदुस्तान का पहला मुस्लिम सुल्तान बना था। 1210 में कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के बाद उनकी सत्ता उनके दामाद इल्तुतमिश को सौंप दी गई थी. जिस प्रकार कुतुबुद्दीन ऐबक, मोहम्मद गौरी के गुलाम थे, और उनको मोहम्मद गौरी के द्वारा सत्ता सौंप दी गई थी, उसी प्रकार इल्तुतमिश कुतुबुद्दीन ऐबक के गुलाम थे, इसीलिए इनकी पूरी सल्तनत को गुलाम सल्तनत के नाम से भी जाना जाता है।

रजिया सुल्ताना इल्तुतमिश की पुत्री थी। इल्तुतमिश के पास 11 बेटे होने के बावजूद भी उन्हें सबसे ज्यादा भरोसा अपनी पुत्री रजिया सुल्ताना पर था। इल्तुतमिश हर मामले में अपने बेटों से ज्यादा अपनी बेटी रजिया सुल्ताना की राय लेना ज्यादा पसंद करता था, परंतु यह बात उसके 11 बेटों को बहुत ज्यादा खटकती थी, उनको लगता था कि हमारा बलवान होना और शक्तिशाली होने के बाद भी हमारे पिता एक लड़की को इतना बढ़ावा देते हैं, और उसे हर कार्य में सबसे आगे रखते हैं।

Razia Sultan biography in Hindi | रजिया सुल्तान का जीवन परिचय

परंतु हकीकत यह भी थी कि रजिया सुल्ताना बहुत काबिल और कुशल लड़की थी, वह अपने भाइयों से कतई भी कम नहीं थी, हर मामले में उनके बराबर थी। उन्होंने बचपन से ही घुड़सवारी तलवारबाजी और निशानेबाजी बहुत बखूबी सीखी थी, और वह इन कलाओं में अच्छी महारत रखा करती थी, उनके पिता कहीं भी जाने से पहले अपने पूरे राज्य की बागडोर अपने 11 बेटू को ना देकर अपनी पुत्री रजिया सुल्ताना के हाथों में देकर जाया करते थे, और रजिया सुल्ताना अपने पिता के किए गए भरोसे पर हमेशा खरी उतरती थी और उनके गैरमौजूदगी में राज्य का बहुत अच्छे से ख्याल रखती थी.

रजिया सुल्तान की काबिलियत से उनके पिता इल्तुतमिश को यह भरोसा हो गया था कि वे उनके राज्य को उनके बाद बहुत अच्छे से संभाल सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी वसीयत में अपने मरने के बाद सारे राज्य का जिम्मा रजिया सुल्तान के हाथों में सौंप दिया।

महिला के तौर पर जिम्मा सौंप देने से दरबार के कुछ लोग इल्तुतमिश के इस फैसले के खिलाफ हो गए, सभी दरबारियों ने आवाज उठाना शुरू कर दिया कि 11 बेटों के होने के बावजूद राजा ने अपनी सत्ता अपनी बेटी के हाथों में क्यों दी और तुर्की के रहने वाले लोगों का यह मानना था कि वह किसी औरत की हुकूमत नहीं स्वीकार कर सकते। दूसरी ही तरफ रजिया सुल्ताना की सौतेली मां जो कि अपने बेटे रक्नुद्दीन फ़िरोज़ शाह को शहंशाह बनाना चाहती थी और जिसके वह बगावत पर उतर आई जिसके बाद राजा इल्तुतमिश ने अपना फैसला बदल लिया और अपनी पुत्री को छोड़कर अपने बेटे रुकनुद्दीन को शहंशाह बनाया।

भारत की पहली महिला शासक बनने का सफर

इल्तुतमिश की मौत के बाद रक्नुद्दीन को राजा तो बना दिया गया परंतु रुकनुद्दीन एक बहुत ही अय्याश किस्म का राजा था, वह उस सिंहासन पर सिर्फ नाम के लिए बैठा हुआ था, उसमें राजा बनने लायक कोई भी गुण नहीं थे, उसकी सल्तनत उसकी मां तुरकान शाह चलाया करती थी। वह अपना पूरा दिन अय्याशी में गुजारा करता था और उसकी मां पूरी प्रजा पर जुल्म ढा दी थी। वह एक बेरहम किस्म की महिला थी, उसने अपने सभी दुश्मनों को ढूंढ ढूंढ कर कत्ल करवा दिया और उनके साथ साथ राजा इल्तुतमिश की बाकी बची रानियों को भी कत्ल करवा दिया और उनके बेटों को भी परेशान करना शुरू कर दिया। वह चाहती थी कि उसके बेटे रुकनुद्दीन की कोई भी बराबरी ना कर सके!

जिस प्रकार राजा इल्तुतमिश के अपनी बेटी रजिया सुल्ताना को नया शासक बनाने के खिलाफ सभी दरबारी हो गए थे, अब वही सब तुरकान शाह का शासन झेल रहे थे, परंतु उनकी बुरी हालत होने के बाद सभी शासक, सभी दरबारी बगावत पर उतर आए थे।

जो रुकनुद्दीन के खिलाफ थे, यह बगावत इतनी बढ़ गई कि उसके बेटे के बड़े-बड़े वजीर भी उसके खिलाफ हो गए थे और वह सब बागी बनकर उसको शासन से हटाना चाहते थे। रुकनुद्दीन बागियों को अपने रास्ते से हटाने के लिए युद्ध पर निकला परंतु उसकी युद्ध में शिकस्त हुई और हार का सामना करने के बाद उसको गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया और जो लोग रजिया सुल्ताना के शासक बनने के खिलाफ थे, और वह अब शर्मिंदगी महसूस कर रहे थे। रुकनुद्दीन और उसकी मां के इस प्रकार के शासन झेलने के बाद उन्होंने फैसला किया कि आप रजिया सुल्ताना हमारे शासन पर राज्य करेगी और रजिया सुल्ताना को नई रानी बना दिया गया। इसी प्रकार 1236 में पहली बार कोई मुस्लिम औरत थी, जिसने हिंदुस्तान पर सुल्तान बनकर राज किया, रजिया सुलताना शासन करने के योग्य थी।

रजिया सुल्ताना को शासन से हटाना चाहते थे कुछ लोग

और उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान अपने नाम के सिक्के चलवाए, इसी के साथ-साथ उन्होंने अपनी प्रजा के लिए बहुत अच्छे-अच्छे काम भी किए, उन्होंने सबसे पहले अपनी प्रजा के लिए अच्छी सड़कें और बड़ी बड़ी लाइब्रेरी जैसी चीजें बनवाई थी। रजिया सुल्ताना को यह बहुत अच्छे से पता था कि उसके सभी राज्य के लोग ज्यादातर तुर्की से आए हुए थे और वह जानती थी कि तुर्की के लोग एक औरत की सल्तनत को कबूल नहीं करेंगे इसलिए वह अपना लिबास मर्दों की तरह बनाकर ताकत पर बैठती थी और वह सभी काम मर्दों की तरह ही करती थी, वह मर्दों की तरह लड़ा करती थी और उन्हीं की तरह अपनी फौज को खुद लीड किया करती थी! उनमें इतनी काबिलियत होने के बाद भी जिसका उन्हें डर था वही हुआ उनके अच्छे से शासन चलाने के बावजूद भी बागियों ने उनके खिलाफ बगावत कर दी ताकि उन्हें तख्त से हटाया जा सके.

रजिया सुल्ताना के खिलाफ बगावत करने वाला कोई और नहीं बल्कि रजिया सुल्ताना से पहले राज करने वाला उसके भाई रुकनुद्दीन का प्रिय वजीर ही था, परंतु रजिया सुल्ताना बहादुर होने के साथ-साथ बहुत होशियार भी थी उन्होंने उन भाइयों से लड़ने की बजाय दूसरा रास्ता अपनाया उन्होंने उन बागियों के बीच फूट डालने के बारे में सोचा और वह इस योजना में कामयाब भी हुई और वह सभी बागी अपने ही गुट में लड़कर वापस चले गए। जब रजिया सुल्ताना ने देखा कि उनकी एकता टूट चुकी है, तब उन्होंने अपने सिपाही उन गुटों के पीछे भेज कर उनका कत्ल करवा दिया इस प्रकार रजिया सुल्ताना ने अपने खिलाफ होने वाली बहुत बड़ी बगावत को कुचल डाला था।

रजिया सुल्तान की प्रेम कहानी

इस बगावत के बाद जब लोगों ने देखा कि उन्होंने इतनी बड़ी बगावत को अपनी होशियारी और बुद्धि से मात दे दी तब लोगों में उनका खौफ और इज्जत बहुत अधिक बढ़ गई थी, परंतु बागियों के मांत देने के बाद भी महल में बहुत से ऐसे लोग मौजूद थे जो कि उनको सिंहासन से हटाना चाहते थे और आखिरकार उन लोगों को एक मौका मिल भी गया रजिया सुल्ताना के महल में एक गुलाम था जिस गुलाम का नाम याकूब था। कहा जाता है कि रजिया सुल्तान उस पर बहुत ही मेहरबान थी वह काला गुलाम रजिया सुल्तान के घोड़ों के अस्तबल का दरोगा हुआ करता था, लेकिन अचानक से रजिया सुल्तान ने इसको अस्तबल के दरोगा से सीधा अमीर का दर्जा दे दिया और कुछ अर्से बाद उस काले गुलाम को अमीर से भी अमीरों का अमीर बना दिया।

उस समय जो अमीर हुआ करते थे, रजिया सुल्तान ने उस काले गुलाम को उनसे भी बड़ा आधा मतलब उनका भी अमीर बना दिया उस समय यह आधा बहुत बड़ा आधा कहलाया जाता था। जो कि महल में बहुत मायने रखता था यह अदा उस दौर के बहुत बड़े तुर्कों को ही दिया जाता था परंतु रजिया सुल्ताना के इस फैसले के बाद महल के बाकी तुर्की बहुत नाराज हो गए और वह सभी रजिया सुल्ताना के खिलाफ खड़े हो गए तुर्की इस बात से नाराज थे कि जो आधा तुर्की को दिया जाना था उसको दे पर सुल्ताना ने गुलाम को बिठाया हुआ था और बात इसी तरह और बढ़ती चली गई लोगों ने यह अफवाह उड़ाना शुरू कर दिया कि रजिया सुल्ताना का उस गुलाम के साथ नाजायज संबंध भी थे

इन सब बातों को देखते हुए रजिया सुल्ताना को अपनी गलतियों में सुधार लाने की जरूरत थी, लेकिन उन्होंने इन सभी चीजों को नजरअंदाज करते हुए और अधिक बढ़ावा देना शुरू कर दिया और उन्होंने उस काले गुलाम को अमीरों से अमीर की स्तर से हटाकर और बड़ा आधा देने का सोचा और अपना खास अंगरक्षक बना लिया और अंगरक्षक बनाए जाने के बाद वह रजिया सुल्ताना के साथ हमेशा रहने लगा और रजिया सुल्ताना अपने हर फैसले में उसकी राय जरूर लेती और हर मामले में उस काले गुलाम को अपने साथ रखती थी वह काला गुलाम एक पल के लिए भी रजिया सुल्ताना से अलग नहीं रहा करता था रजिया सुल्ताना के इस फैसले से दरबार के बाकी तुर्की लोग बहुत ज्यादा खफा हो गए थे और वह सभी रजिया सुल्ताना के खिलाफ बगावत पर उतर आए।

लड़ाई में मिली शिकस्त

लेकिन उसके बाद मलिक अल्तूनिया नाम का एक हुक्मरान आया, जो रजिया सुल्ताना से शादी करना चाहता था परंतु रजिया सुल्ताना के मना करने के बाद उसने उनके चरित्र पर सवाल उठाना और उनके चरित्र के बारे में ऐसी बातें फैलाना शुरू कर दिया और वह हमेशा ही रजिया सुल्ताना के खिलाफ मौका तलाशते रहता किस प्रकार उसे सबक सिखाया जाए और जब उसे पता चला के रजिया सुल्ताना का नाम काले गुलाम के साथ जोड़ा जा रहा है तो इस बात को और बढ़ाने में वह सबसे आगे था।

मलिक अल्तूनिया ने यह भी अफवाह उड़ाई की जब रजिया सुल्ताना अपने घोड़े पर सवार होती है तब उन्हें घोड़े के ऊपर सिर्फ काला गुलाम ही अपने हाथों पर चढ़ा कर बैठता, रजिया सुल्ताना ने जब अपने ही पंजाब के गवर्नर मलिक अल्तूनिया की यह हरकत देखी तब उन्होंने उसे सबक सिखाने का इरादा किया। रजिया सुल्ताना एक बड़ी फौज के साथ पंजाब के शहर बठिंडा की तरफ मलिक अल्तूनिया को सबक सिखाने के लिए निकल पड़ी परंतु रजिया सुल्तान आके बठिंडा पहुंचने से पहले ही उन्हीं के गवर्नर ने उन पर बगावत कर दी और उनके खास अंगरक्षक काले गुलाम को भी मार डाला और रजिया सुल्तान को बंदी बनाकर बठिंडा ले आया गया और मलिक अल्तूनिया के हवाले कर दिया गया

और वही रजिया सुल्ताना की कैद हो जाने के बाद रजिया सुल्ताना के दरबारियों ने उसके दूसरे भाई को शासन सौंप दिया गया परंतु रजिया सुल्ताना ऐसे चुप बैठने वालों में से नहीं थी वह जितनी बहादुर थी उससे कहीं ज्यादा वह होशियार भी थी उन्हें कैद में गए हुए कुछ ही दिन हुए थे कि उन्होंने अल्तूनिया से विवाह करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। शौहर मलिक अल्तुनिया के साथ मिलकर एक सेना तैयार की जो भटिंडा में उन्होंने तैयार करवाई और वह अपने शौहर के साथ बठिंडा से अपनी सेना लेकर अपने राज्य दिल्ली को हासिल करने के लिए निकल पड़ी लेकिन फिर से रजिया सुल्ताना को इस बार हार का सामना करना पड़ा।

Razia Sultan death in hindi – रज़िया सुल्तान की मृत्यु

हर का सामना करने के बाद रजिया सुल्ताना अपने शौहर के राज्य भटिंडा वापस नहीं जा सकी क्योंकि उनके बहुत से सिपाही मैदान छोड़कर भाग चुके थे और रजिया सुल्ताना महा पर अकेली रह गई थी रजिया सुल्ताना वहां पूरे दिन भटकती रही और उनका भूख की वजह से बहुत बुरा हाल हो चुका था उन्हें कहीं पर भी कुछ भी खाने के लिए नहीं मिल रहा था। आखिरकार थकी हारी रजिया सुल्ताना जंगल में किसान मिला रजिया ने उस किसान से खाने के लिए एक रोटी मांगी किसान ने भी फकीर समझकर रजिया सुल्ताना को आधी रोटी दे दी क्योंकि रजिया सुल्ताना ने अपने राज फकीरों के कपड़ों में छुपाया हुआ था और उस आधी रोटी को खाने के बाद वह वहीं पर आराम करने के लिए लेट गई। थकावट की वजह से अचानक नींद आ गई जो उन्होंने फकीरों जैसे कपड़े पहनकर अपने शाही लिबास को छुपाया हुआ था।

लेकिन लिबास हवा से सरक गया और उनके शाही लिबास नजर आने लगा किसान ने जब यह देखा तो उनके लिबास पर सोना ही सोना था, किसान में लालच में आकर रजिया सुल्ताना का कत्ल कर दिया और सारा सोना लेकर चला गया कहा जाता है कि किसान ने उसी जमीन के नीचे रजिया सुल्ताना को दफनाया था। इस प्रकार अक्टूबर 1240 को भारत की इकलौती और मुस्लिम इतिहास की पहली औरत हुक्मरान का इंतकाल हुआ।

हालांकि बाद में उस किसान को पकड़ लिया गया था और उस किसान से ही यह मालूम किया गया था कि रजिया सुल्ताना की कब्र कहां पर है, आज रजिया सुल्ताना की कब्र दिल्ली शहर में मौजूद है आज जो कुतुबमीनार हिंदुस्तान की शान कहलाती है।

some FAQ | कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

रज़िया सुल्तान कहाँ की थी?

बदायूँ

रजिया ने कितने वर्ष तक शासन किया?

1236 से 1240 तक।

भारत की पहली महिला मुस्लिम शासक कौन थी?

रज़िया सुल्ताना

रजिया सुल्तान का गुलाम कौन था?

याकूब

रजिया सुल्तान के क्या गुण थे?

वह योग्य तथा प्रतिभा-सम्पन्न सुल्तान थी।

रजिया सुल्तान के पिता का नाम किया था?

इल्तुतमिश

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नोट– यह संपूर्ण बायोग्राफी का क्रेडिट हम रजिया सुल्तान को देते हैं, क्योंकि ये पूरी जीवनी उन्हीं के जीवन पर आधारित है और उन्हीं के जीवन से ली गई है। उम्मीद करते हैं यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। हमें कमेंट करके बताइयेगा कि आपको यह आर्टिकल कैसा लगा?