Ram Prasad Bismil Biography in Hindi | काकोरी कांड की योजना..

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Ram Prasad Bismil - The Real Hero

Ram Prasad Bismil biography in Hindi – क्रांतिकारी इस शब्द को सुनते ही भारत की आजादी की यादें ताजा हो जाती हैं, तथा भारत के स्वाधीनता के लिए जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान न्योछावर कर दी देश के खातिर, वह इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में मौजूद हैं। लेकिन क्या आपको पता है, भारत को आजाद कराने वाले केवल महात्मा गांधी सुभाष चंद्र बोस भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद आदि कई सैकड़ों क्रांतिकारी ने अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए अपनी जी जान लगा दी और उसमें सफल हुए। इसमें से एक नाम आता है, रामप्रसाद बिस्मिल जिन्होंने काकोरी कांड की योजना बनाते हुए अंग्रेजों को खुली चुनौती दी, इसलिए आज के इस लेख में आपको राम प्रसाद बिस्मिल से संबंधित सभी जानकारी जानने को मिलेगी। तो आइए चलिए जानते हैं।

कौन थे, राम प्रसाद बिस्मिल? | Who was Ram Prasad Bismil

रामप्रसाद बिस्मिल जिन्हें बिस्मिल और राम के उपनाम से भी जाना जाता है। यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख क्रांतिकारी में से एक थे, जिनका जन्म 11 जून 1897 को ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान शाहजहांपुर में हुआ था। यह हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य थे, जिन्होंने मैनपुरी षड्यंत्र भाग काकोरी कांड के रूप में जैसी घटनाओं को अंजाम दिया था। 19 सितंबर 1927 को सिर्फ 30 वर्ष की उम्र में राम प्रसाद बिस्मिल को ब्रिटिश सरकार ने फांसी देदी, लेकिन कई युवा लोगों के दिमाग में अपनी छाप छोड़ गए।

Ram Prasad Bismil biography in Hindi | राम प्रसाद बिस्मिल का जीवन परिचय

अंग्रेजों की सत्ता हिलाने वाले राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म 11 जून सन 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ था। फैमिली में इनके पिता का नाम मुरलीधरण तथा मां का नाम मूलमती था। जानकारी के अनुसार राम प्रसाद बिस्मिल का पैतृक गांव बरबाई में था, जो चंबल के पेड़ों के बीच स्थित है। अगर बात करें उनकी पढ़ाई की तो वह बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छे थे, उन्होंने कई भाषाओं का ज्ञान लिया, जिसकी वजह से उनकी मुलाकात स्वामी सोमदेव से हुई जिन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल को आर्य समाज के बारे में बताया।

Ram Prasad Bismil information in Hindi, quick info…

नाम राम प्रसाद बिस्मिल
अन्य नामराम, बिस्मिल
जन्म11 जून 1897
जन्मस्थान उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर
कार्यक्रांतिकारी
लेखक
कवी
परिवारपिता का नाम मुरलीधरण
मां का नाम मूलमती
शिक्षाआठवीं कक्षा पास
प्रसिद्धमैनपुरी षड्यंत्र भाग काकोरी कांड के रूप में
मृत्यु19 सितंबर 1927
मृत्यु स्थानगोरखपुर, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत
उम्र ( मृत्यु के समय)30 वर्ष
राष्ट्रीयता भारतीय
Ram Prasad Bismil biography in Hindi

Ram Prasad Bismil in hindi | भारतीय संस्कृति संग्राम और मैनपुरी षडयंत्र कांड

बचपन से ही राम प्रसाद बिस्मिल के अंदर क्रांतिकारी विचार पैदा होने लगे थे, उन्हें भारतीय लोगों पर हो रहे अंग्रेजो के द्वारा अत्याचार बर्दाश्त नहीं होते थे और उनकी अंदर पनप रही बदले की आग अंग्रेजो के खिलाफ विरोध करने पर खड़ी उतरी। उन्होंने बहुत कम उम्र में कई घटनाओं को अंजाम दिया एक क्रांतिकारी के रूप में। यह मैनपुरी षडयंत्र घटना में शामिल थे। तथा इस घटना के लीडर राम प्रसाद बिस्मिल ही थे जिनके साथ छह और लोग शामिल थे।

मैनपुरी षड्यंत्र तब हुआ जब बिस्मिल की मां त्रिवेदी संस्था और पंडित गेंदालाल दीक्षित के शिवाजी समिति का विलय हुआ, तब पंडित गेंदालाल दीक्षित जी आगरा से अपने साथ हथियार लाते हुए पकड़े गए उन्हें, इसके लिए सजा भी हुई और कैद रखा गया लेकिन वह वहां से भाग निकलने में सफल हुए जिसके बाद से इस घटना को मैनपुरी षड्यंत्र कांड कहा जाता है।

history of Ram Prasad Bismil in hindi | भारतीय रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन

बात उस समय की है, जब चोरी चोरा कांड के बाद महात्मा गांधी जी ने अचानक असहयोग आंदोलन वापस लेने का फैसला लिया, इस फैसले से कई क्रांतिकारी तथा अन्य युवा सेनानि हताश थे, वह नहीं चाहते थे, महात्मा गांधी जी असहयोग आंदोलन वापस ले। क्योंकि जब महात्मा गांधी जी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया तब इस आंदोलन में कई क्रांतिकारी युवा सेनानी शामिल हुए थे, तथा अन्य पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों ने इस आंदोलन में भारी मात्रा में हिस्सा लिया।

इस आंदोलन का मुख्य उद्देश अंग्रेजों की सत्ता को भारत से हटाना था। ऐसे में राम प्रसाद बिस्मिल के साथ-साथ अशफाक उल्ला खां सरीखे तथा चंद्रशेखर आजाद जैसे युवा सेनानी काफी निराश हुए। जिसके चलते उन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह तथा विनाश करने के लिए एक संगठन का स्थापना की, जिसका नाम था हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन, इसकी स्थापना लाल हरदयाल सोमदेव तथा राम प्रसाद बिस्मिल ने की थी।

हथियार के लिए बनाई काकोरी कांड की योजना

राम प्रसाद बिस्मिल ने अन्य कई साथियों की मदद से हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की शुरुआत तो कर दी थी लेकिन अंग्रेजों का सामना करने के लिए उन्हें कई हथियार जैसे बंदूक इत्यादि की जरूरत थी, ऐसे में राम प्रसाद बिस्मिल के साथ चंद्रशेखर आजाद भी इस संगठन में शामिल हो गए अब क्या था उन्होंने अंग्रेजों का खजाना लूटने की योजना बनाई तथा शाहजहांपुर से लखनऊ की पैसेंजर ट्रेन को काकोरी में लूट कर अंग्रेजों को यह याद दिलाया कि भारतीय किसी से कम नहीं है। इस लूट के बाद यह घटना काकोरी कांड के नाम से जाने जानी गई।

फंदे की वो रस्सी जिस पर झूल गए राम प्रसाद बिस्मिल

कई घटनाओं को अंजाम देने वाले राम प्रसाद बिस्मिल को 26 अक्टूबर 1950 को गिरफ्तार कर लिया गया और उनको करीब 1 साल से भी ज्यादा समय तक मुकदमे चलने की वजह से फांसी दे दी गई। 16 दिसंबर 1927 को राम प्रसाद बिस्मिल आखिरी बार अपने परिवार से मिले और ठीक 19 सितंबर 1927 को गोरखपुर जेल में फांसी दे दी गई उनकी समाधि उत्तर प्रदेश देवरिया में स्थित है।

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नोट- यह संपूर्ण बायोग्राफी का श्रय राम प्रसाद बिस्मिल जी को देते हैं क्योंकि ये पूरी जीवनी उन्हीं के जीवन पर आधारित है और उन्हीं के जीवन से ली गई है। उम्मीद करते हैं यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। हमें कमेंट करके बताइयेगा कि आपको यह आर्टिकल कैसा लगा?