Rajguru Biography in Hindi – आज हम बात कर रहे हैं, भारतीय संसद संग्राम में अपना अमर बलिदान देने वाले शिवराम हरी राजगुरु के बारे में। यह उन क्रांतिकारियों में शामिल थे, जिन्होंने भारत के आजादी के लिए अपना जीवन देश के खातिर समर्पित कर दिया। आज के इस पोस्ट में आपको राजगुरु से संबंधित सभी जानकारियां मिलेंगी। तो आइए जानते है, राजगुरु के जीवन के बारे में।
शहीद राजगुरु कौन थे ? | Who was Shaheed Rajguru
शिवराम हरी राजगुरु जिन्हें मुख्य रूप से राजगुरु के नाम से जाना जाता है। यह एक भारतीय प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे, जो मुख्य रूप से लाला लाजपत राय का बदला तथा सांडर्स नामक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या की भागीदारी के रूप में माने जाते हैं। इनका जन्म 24 अगस्त 1907 को महाराष्ट्र में हुआ था। साथ ही राजगुरु हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य थे, जिन्हें 23 मार्च 1931 को भगत सिंह और सुखदेव थापर के साथ ब्रिटिश सरकार द्वारा फांसी दे दी गई।
राजगुरु का जीवन परिचय | Rajguru Biography in Hindi
नाम | शिवराम हरी राजगुरु |
अन्य नाम | राजगुरु |
जन्म | 24 अगस्त 1907 |
जन्मस्थान | महाराष्ट्र (रत्नागिरी जिले के खेड़ा गांव) |
कार्य | क्रन्तिकारी |
परिवार | पिता का नाम हरिनारायण मां का नाम पार्वती |
शिक्षा | हिंदू धर्म ग्रंथों और वेदों का भी अध्ययन |
प्रसिद्ध | जेपी सांडर्स की मृत्यु की रूप में |
फांसी | 23 मार्च 1931 |
स्थान | लाहौर सेंट्रल जेल, लाहौर, पाकिस्तान |
उम्र ( मृत्यु के समय) | 23 साल |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राजगुरु की कहानी | Rajguru story in Hindi
भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक राजगुरु की जीवन की कहानी 24 अगस्त 1907 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के खेड़ा गांव से हुई, जहां जिनका जन्म हुआ। परिवार में इनकी मां का नाम पार्वती था, जो एक शिव भक्त थी इसलिए उन्होंने अपने बेटे का नाम शिवराम रखा, वही उनके पिता का नाम हरिनारायण था, जो उनके बेटे के नाम से जोड़ा गया और शिवराम हरी के नाम से जाना जाने गया।
आगे चलकर यही शिवराम हरी राजगुरु के नाम से प्रख्यात हुए और देश में राजगुरु के नाम से प्रसिद्धि पाई। बचपन से ही राजगुरु बाल गंगाधर तिलक और महान योद्धा शिवाजी से काफी प्रभावित थे, छोटी उम्र से ही वाराणसी में संस्कृत के साथ साथ हिंदू धर्म ग्रंथों और वेदों का भी अध्ययन किया।
जानिए शहीद भगत सिंह की पूरी कहानी , जिनके सामने अंग्रेज भी डरते थे।
भगत सिंह और सुखदेव की दोस्ती | Rajguru in hindi
राजगुरु का बचपन कठिन परिस्थितियों में बीता था, क्योंकि बचपन में ही पिता का साया उठ जाने की वजह से उनका पालन पोषण उनकी मां और भाई ने किया। उसी समय भारत में अंग्रेजों के खिलाफ छोटे बड़े आंदोलन हो रहे थे, इन्हीं को देखकर राजगुरु भी आंदोलन में उतर आए, केवल छोटी सी उम्र में ही आंदोलन की खबर सुनते ही दौड़े चले जाते थे। उन्होंने इसी बीच कई क्रांतिकारियों से भेंट की जिसमें से एक थे, महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद, जिनकी मौजूदगी में राजगुरु हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र संघ के सदस्य बन गए।
राजगुरु युवा और उत्साही क्रांतिकारी थे, जिन्हें देखकर चंद्रशेखर आजाद भी काफी प्रभावित हुए। चंद्रशेखर आजाद ने उन्हें अपना शिष्य बना लिया और एक कुशल निशानेबाज की शिक्षा दी। आगे चलकर राजगुरु एक अच्छे निशानेबाज बन गए। इसी बीच उनकी मुलाकात सुखदेव थापर और भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह से हुई। मुलाकात एक गहरी दोस्ती में बन गई और अंत तक इन तीनों की दोस्ती अमर रही।
Rajguru history in Hindi | राजगुरु का इतिहास
जब चंद्रशेखर आजाद और उन्हें उनके साथी राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह आदि अन्य क्रांतिकारी इस संगठन में शामिल थे। तब साइमन कमीशन के विरोध के खिलाफ खड़े होने वाले लाला लाजपत राय की पुलिस द्वारा लाठीचार्ज होने की वजह से कुछ दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई। इसका बदला लेने के लिए राजगुरु तथा उनके अन्य साथियों ने रणनीति बनाई।19 सितंबर 1928 यह वह दिन था, जब लाल लाजपत राय का बदला लेने के लिए लाहौर में अंग्रेज सहायक पुलिस अधीक्षक जेपी सांडर्स को मौत के घाट उतार दिया, इसमें पहली गोली राजगुरु ने उनके माथे पर दागी तथा नीचे गिर जाने के बाद बाकी का काम भगत सिंह कर दिया।
फांसी की वह तारीख
लेकिन इसके बाद राजगुरु को गिरफ्तार कर लिया गया, और लाहौर की जेल में बंद कर दिया, इसमें उनके साथी भगत सिंह और सुखदेव भी थे। जिन पर सांडर्स की हत्या करने का मुकदमा चला। कोर्ट ने राजगुरु भगत सिंह और सुखदेव को फांसी की सजा सुनाई। लेकिन तीनों अमर शहीद क्रांतिकारियों की फांसी की सजा 24 मार्च को होनी थी, लेकिन अंग्रेजों को डर था, कि फांसी देते वक्त लोग कहीं दंगा ना कर दे। फांसी की सजा की खबर पूरे देश में फैल गई थी, ऐसे में अंग्रेजों ने गुप्त तरीके से चुपचाप तीनों क्रांतिकारियों को समय से पहले ही लाहौर सेंट्रल जेल में 23 मार्च 1931 को शाम 7:30 भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को एक साथ फांसी दे दी गई।
FAQ | अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
राजगुरु को फांसी कब दी गई? (When was Rajguru hanged?)
राजगुरु का जन्म कब हुआ? (When was Rajguru born?)
राजगुरु के पिता का नाम क्या था? (What was the name of Rajguru’s father?)
राजगुरु की माता का नाम क्या था? (What was the name of Rajguru’s mother?)
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नोट– यह संपूर्ण बायोग्राफी का क्रेडिट हम शहीद राजगुरु को देते हैं, क्योंकि ये पूरी जीवनी उन्हीं के जीवन पर आधारित है और उन्हीं के जीवन से ली गई है। उम्मीद करते हैं यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। हमें कमेंट करके बताइयेगा कि आपको यह आर्टिकल कैसा लगा?