मुंशी प्रेमचंद जीवनी हिंदी में – आयु, विकी, जन्म तिथि, करियर,लेखक कार्य , उपन्यास, पुरुस्कार, कहानिया और उनकी मृत्यु (Munshi Premchand Biography in Hindi – Age, Wiki, Date of Birth, Career, Author’s work, Novel, Awards, Stories and his death)
मुंशी प्रेमचंद कौन थे ? ( Who was Munshi Premchand )
धनपत राय श्रीवास्तव जोकि अपने प्रिय नाम मुंशी प्रेमचंद के नाम से मशहूर थे। यह एक हिंदी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार कहानीकार एवं विचारक थे। इन्होंने प्रेम आश्रम, रंगभूमि, गबन, कर्मभूमि , बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी और दो बैलों की कथा आदि की रचना करने वाले मुंशी प्रेमचंद ने 100 से अधिक कहानियों की रचना की हैं। इनका जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में हुआ था। यह भारत के प्रसिद्ध लेखक तथा पत्रकार थे।
मुंशी प्रेमचंद का नाम भारत के उन लेखकों में से एक है जिन्होंने उपन्यास कहानियों की रचना में काफी प्रसिद्धि पाई है। मुंशी प्रेमचंद को भारत के उपन्यास का सम्राट कहा जाता है। क्योंकि वह एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक और जिम्मेदार संपादक थे। मुंशी प्रेमचंद को 20 वीं सदी का सबसे सफल लेखक माना जाता है, क्योंकि उनके द्वारा रची गई कहानियां जैसे दो बैलों की कथा, कफ़न आदि बहुत लोकप्रिय हैं।
मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय
question (प्रश्न) | answer (उत्तर) |
name/नाम | धनपत राय श्रीवास्तव |
famous name/प्रसिद्ध नाम | मुंशी प्रेमचंद |
DOB/जन्म तिथि | 31 जुलाई 1880 ( वाराणसी ) |
profession/पेशा | उपन्यासकार, कहानीकार, पत्रकार |
parents/माता-पिता | अजायब लाल श्रीवास्तव/आनन्दी देवी |
wife/पत्नी | शिवरानी देवी |
death/ मृत्यु | 8 अक्टूबर 1936 |
language/भाषा | हिन्दी व उर्दू |
famous for /प्रसिद्ध | कहानी रचनाकार |
nationality/राष्ट्रीयता | भारतीय |
जन्म और शिक्षा ( birth and education )
मुंशी प्रेमचंद के नाम से मशहूर धनपत राय श्रीवास्तव का जन्म 31 जुलाई 1980 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित लमही गांव हुआ था, जोकि वाराणसी से लगभग 4 मील दूर था। उनके पिता का नाम मुंशी अजायब लाल और माता का नाम आनंदी देवी था। शुरू से ही प्रेमचंद का बचपन उनके गांव में ही बिता था था। एक नटखट बालक के रूप में मुंशी प्रेमचंद जी खेतों में सब्जी और फल चुराने में कुशल थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा लमही गांव के पास हुई, और इसी बीच एक मौलवी साहब ने उन्हें उर्दू और फारसी पढ़ाना सिखाया।
प्रेमचंद जी एक देशभक्त होने के नाते लोगों को खुशहाल जीवन जीने का सही तरीका बताते थे, क्योंकि उनका मानना था कि समाज में जिंदा रहने में जितना कठिनाइयों का सामना लोग करेंगे उतना ही गुनाह होगा और अगर समाज में लोग खुशहाल होंगे तो समाज में अच्छाई ज्यादा होगी।
मुंशी प्रेमचंद जी का जीवन (Munshi Premchand Careers in hindi)
मुंशी प्रेमचंद हमेशा मस्त मौला व्यक्ति थे, वह अपने जीवन में खेलकूद तथा तंदुरुस्त रहते थे। लेकिन उनका प्रारंभिक जीवन संघर्ष से भरा हुआ था । मुंशी प्रेमचंद को बचपन से ही पढ़ने में काफी रूचि थी और 13 वर्ष की आयु में उन्होंने तिलिस्मे ए होशरूबा जोकि एक हिंदुस्तानी लोक कथा संग्रह पढ़ लिया। इनका पहला विवाह 15 वर्ष की उम्र में हुआ, ठीक उसके बाद 1906 में उनका दूसरा विवाह शिवरानी देवी से हुआ जो कि एक कहानी रचनाकार थी। उनकी तीन संताने थी, अमृत राय, श्रीपत राय, और कमला देवी श्रीवास्तव। प्रेमचंद ने 1898 में मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षक का काम करने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी।
1921 के बाद मुंशी प्रेमचंद जी ने अपना लेखन का जीवन शुरू किया, साथ ही इसके साथ-साथ मुंशी प्रेमचंद ने मर्यादा माधुरी आदि पत्रिकाओं में संपादक पद पर कार्य करते रहे।
मुंशी प्रेमचंद का साहित्यिक जीवन
मुंशी प्रेमचंद के साहित्य जीवन का आरंभ 1901 से हुआ और प्रेमचंद उनका साहित्यिक नाम था। बताया जाता है कि, उन्होंने बहुत सालों बाद यह नाम अपनाया था, क्योंकि उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। जब मुंशी प्रेमचंद ने कहानी लिखना आरंभ किया तब उन्होंने नवाब राय नाम अपनाया और नवाब राय के नाम से उर्दू में कहानियां लिखते थे।
बहुत ही कम उम्र में माता की मृत्यु हो जाने से प्रेमचंद को मां का प्यार कभी नहीं मिला तथा पिताजी की दूसरी शादी होने के कारण उनकी सौतेली मां ने कभी भी प्रेमचंद को अपना नहीं समझा इसीलिए पिता के कहने पर उन्हें बहुत ही कम उम्र में ही शादी करनी पड़ी। हालांकि मुंशी प्रेमचंद को बचपन से ही किताबों से काफी लगाव था इसलिए उन्होंने कई कहानियों की रचना की। उन्होंने हिंदी भाषा को सवश्रेष्ठ भाषा माना था क्योंकि उनका मानना था कि हिंदी भाषा कि रोज एक न एक पहचान होती है, इसीलिए उन्होंने आगे जाकर बड़े घर की बेटी, सौत, सज्जनता का दंड, परीक्षा, नमक का दरोगा आदि इन कहानियों में प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियां में इन कहानियों की गणना होती है।
प्रेमचंद और उनके उपन्यास
हिंदी लोक कथाओं के महारथी कहे जाने वाले मुंशी प्रेमचंद ने अपना पहला उपन्यास गबन 1931 में प्रकाशित किया, इसी वर्ष उन्होंने 16 अप्रैल 1931 को अपनी एक और महान रचना कर्मभूमि की शुरुआत की और अगस्त 1932 में प्रकाशित हुई। उनका अंतिम उपन्यास सन 1932 में गोदान था। अपनी लंबी बीमारी के दिनों में मुंशी प्रेमचंद ने एक और उपन्यास मंगलसूत्र लिखना शुरू किया लेकिन उनका देहांत होने के पश्चात उनका यह उपन्यास आधा अधूरा रह गया, लेकिन उनके द्वारा लिखे गए उपन्यास कर्म भूमि गोदान आदि गबन भारत के प्रसिद्ध उपन्यासों में प्रसिद्ध है।
प्रेमचंद और सिनेमा
2 वर्षों बाद प्रेमचंद के देहांत होने के करीब सुब्रमण्यम ने 1938 में सेवासदन उपन्यास पर एक फिल्म बनाई जिसमें सुब्बुलक्ष्मी ने मुख्य भूमिका निभाई थी। वैसे तो प्रेमचंद हिंदी सिनेमा के सबसे अधिक लोकप्रिय साहित्यकारों में से एक थे, इसलिए प्रेमचंद जी की कुछ कहानियों पर फिल्में भी बनाई गई थी।
प्रेमचंद और उनकी पत्नी
प्रेमचंद का दूसरा विवाह शिवरानी देवी से हुआ जो कि एक कहानीकार थी उन्होंने प्रेमचंद जी के जीवन पर आधारित जीवनी लिखी थी, और उनके जीवन को दोबारा से उजागर करने का प्रयास किया। उनका बेटा अमृतराय ने भी कलम का सिपाही नाम से पिता की जीवनी लिखी थी। मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई पुस्तकें अनेक भाषाओं में रूपांतर की गई जिसके कारण प्रेमचंद जी की पुस्तकें देश विदेशों में काफी लोकप्रिय हुई।
मुंशी प्रेमचंद जी की मृत्यु ( Munshi Premchand death )
भारत में उपन्यास के सम्राट कहे जाने वाले मुंशी प्रेमचंद की लंबी बीमारी के कारण 8 अक्टूबर 1936 को जलोदर रोग से उनका देहांत हुआ था। इनके द्वारा लिखी गई पुस्तक, कहानी आदि उपन्यास सचमुच काफी लाजवाब है। उनको एक उपन्यासकार के तौर पर हमेशा याद किया जाएगा।
munshi premchand ki kavita (जीवन का रहस्य)
उंगलिया हर किसी पर ऐसे ना उठाया करो, उड़ाने से पहले खुद पैसे कमाया करो, जिंदगी का तातपर्य क्या है? एक दिन खुद ही समझ जाओगे… बारिशों में पतंगो को हवा लगवाया करो, दोस्तों से मुलाकात पर, हस्सी के ठहाके लगाया करो, पुरे दिन मस्ती और, घूमने के बाद, श्याम में तुम, कुछ फकीरो को, अन खिलाया करो… अपने साथ जमीन को बांधकर , आसमानों का भी लूप उठाया करो, आने मंजिल है बड़ी, कही धुर हिअ खड़ी, इसलिए ऐरे गेरे लोगो को, मुंह मत लगाया करो||
प्रेमचंद की कहानियाँ और उपन्यास
कहानियाँ | उपन्यास |
नमक का दारोगा | कर्मभूमि |
दो बैलों की कथा | निर्मला |
माता का ह्रदय | गोदान |
घमण्ड का पुतला | गबन |
स्वर्ग की देवी | रंगभूमि |
दूसरी शादी | प्रेम आश्रम |
पर्वत-यात्रा | प्रतिज्ञा |
क्रिकेट मैच | प्रेमा |
कफ़न | अलंकार |
सामान्य प्रश्न (FAQ)
Q: मुंशी प्रेमचंद जी कौन है ?
Q: मुंशी प्रेमचंद का जन्म कब हुआ था ?
Q: मुंशी प्रेमचंद का जन्म कहाँ हुआ था ?
Q: मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास कौन कौन से है ?
Q: मुंशी प्रेमचंद के कहानियाँ कौन कौन सी है ?
Q: मुंशी प्रेमचंद जी की मृत्यु कब हुई ?
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नोट – हम इस पूरी बायोग्राफी का श्रेय मुंशी प्रेमचंद को देते हैं। क्योकि यह पूरी जीवनी मुंशी प्रेमचंद के जीवन पर आधारित है, हमने बस उनके जीवन पर प्रकाश डालने का एक छोटा सा प्रयास किया है। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताइयेगा और उम्मीद करते है आप इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करेंगे.