इस आर्टिकल में आपको महान कवि कबीर दास के बारे में पढ़ने को मिलेगा। इस आर्टिकल में आपको कवि Kabir Das Ka Jivan Parichay , जन्म, जन्म स्थान, परिवार, पत्नी, और उनके जीवन से जुडी सभी जानकारिओं को जानने को मिलेगा।
about kabir das in hindi – कबीर दास कोन थे?
कबीरदास जिन्हे कबीर के नाम से भी जाना जाता है। यह 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि प्रसिद्ध संत और समाज सुधारक थे। वह हिंदी साहित्य के भक्ति युग में ईश्वर की भक्ति के एक महान प्रणेता के रूप में उभरे। कहा जाता है की संत कबीर दास का जन्म 1440 में पूर्णिमा पर ज्येष्ठ के महीने में हुआ था, जिनकी प्रमुख भाषा सधुक्कड़ी थी किन्तु इनके दोहों और पदों में हिंदी भाषा की सभी मुख्य बोली की झलक दिखाई देती है। वह सभी धर्मो का सम्मान करते थे, और उनके जीवनकाल के दौरान हिन्दू और मुसलमान दोनों ने उन्हें बहुत सहयोग किया। अलिफ़ नामा, कबीर की वाणी, कबीर की साखी, रमैनी और काया पंजी आदि कबीर की प्रमुख रचनाओं में से एक है।
kabir das biography in hindi | कबीर दास का जीवन परिचय
प्रश्न | उत्तर |
---|---|
नाम | कबीरदास |
प्रसिद्ध | एक कवि के रूप में |
जन्म | 1440 ईस्वी |
जन्म स्थान | वाराणसी |
कार्यक्षेत्र | कवि, संत |
परिवार | पिता – नीरू जुलाहे माता – ज्ञात नहीं पत्नी – लोई बच्चे – बेटी कमाली – बेटा – कमल |
पत्नी | लोई |
गुरु | गुरु रामानंद जी |
भाषा शैली | सधुक्कड़ी (मूल भाषा) ब्रज, राजस्थानी, पंजाबी, अवधी (साहित्यिक भाषा) |
प्रमुख रचनाएँ | कबीर की साखियाँ, सबद, रमैनी |
मृत्यु | 1518 |
मृत्यु स्थान | मगहर |
kabir das ka jivan parichay | कबीर दास का जन्म
कबीरदास के जन्म और मृत्यु के बारे में कोई सटीक जानकरी नहीं है, इसलिए कुछ इतिहासकार का कहना है की कबीर का जन्म 1398 हुआ था, जबकि अन्य का कहना है की कबीरदास का जन्म 1440 हुआ था। लेकिन जानकारी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि महान कवि, संत कबीर दास का जन्म 1440 में पूर्णिमा पर ज्येष्ठ के महीने में वाराणसी में हुआ था।
कबीरदास जी जन्म वाराणसी के काशी में एक विधवा ब्राह्मणी के यहाँ हुआ, लेकिन ब्राह्मणी ने नवजात शिशु जो की कबीर जी थे, उनको लहरतारा नामक तालब के पास छोड़कर चली गई, और तभी वह नीरू नाम का एक कपडा बुननेवाला कबीर को तालाब के पास देखा और उस हालत में नीरू एक बच्चे के रूप में कबीर जी को अपने घर पर ले आया। उसी ने कबीरदास का पालन पोषण किया और कुछ समय पश्चात यही बालक बाद में कबीर दास जी के नाम से जाना जाने लगा।
कबीर की शिक्षा – kabir das in hindi
ऐसा माना जाता है कि संत कबीर दास ने गुरु रामानंद से आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त की थी। शुरू में रामानंद कबीर दास को अपना शिष्य मानने के लिए राजी नहीं हुए। लेकिन एक बार संत कबीर दास एक तालाब की सीढ़ियों पर लेटे हुए थे और गुरु रामानंद सुबह स्नान करने जा रहे थे, तभी कबीर राम-राम का मंत्र पढ़ रहे थे, तभी से रामानंद ने कबीर जी को अपना शिष्य बना लिया,और आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त की। कबीर का कहना है, कि भगवान आपके दिल में है और हमेशा तुम्हारे साथ है। उन्होंने लोगों की भीतर की आंखें खोली और उन्हें मानवता, नैतिकता और आध्यात्मिकता के वास्तविक पाठ को सिखाया।
कबीरदास का जीवन काल – sant kabir das in hindi
मशहूर और रहस्यवादी कवी रहे सबंत कबीरदास हिंदी साहित्य के हजार वर्षों के इतिहास में उनका जैसा व्यक्तित्व लेकर कोई भी कवी, लेखक उत्पन्न नहीं हुआ। हां ऐसा व्यक्तित्व तुलसीदास का भी था, लेकिन तुलसीदास और कबीरदास जी में बड़ा अंतर था। यद्यपि दोनों ही गहरे भक्त थे, लेकिन एक मस्तमौला और समाज सुभारक के रूप में कबीर को हिंदी साहित्य का अद्भुत कवी माना जाता है। यही कारण है की हजारी प्रसाद द्विवेदी ने भी कबीरदास को मस्तमौला कहा है।
कबीर जी के जीवन काल के दौरान साधु संतों का जमावड़ा बना रहता था। कबीर दास जी ने अपनी शुरुआती जीवन में कोई किताबी शिक्षा प्राप्त नहीं की, परंतु वास्तव में वे स्वयं एक विद्वान है। इसका अंदाजा आप उनके दोहों से लगा सकते हैं जैसे – ‘मसि कागद छुयो नहीं, कलम गही नहिं हाथ। उन्होंने यह दोहे खुद से नहीं लिखे बल्कि अपने मुख के जरिये बोलकर शिष्यों से उन्हे लिखवाया करते थे।
कबीर की मृत्यु –kabir das death in hindi
संत कबीरदास की मृत्यु 1518 ईस्वी में मगहर में हुई। कहा जाता है, कि कबीर दास की मृत्यु के बाद, हिंदुओं और मुसलमानों ने कबीर दास के मृत शरीर को पाने का दावा किया था। वे दोनों कबीर दास के मृत शरीर को अपने धर्म और परंपराओं के अनुसार अंतिम संस्कार करना चाहते थे। लेकिन, जब उन्होंने मृत शरीर से शीट हटा दी तो उन्हें उस जगह केवल कुछ फूल मिले। उन्होंने एक-दूसरे के बीच फूल वितरित किया और अंतिम परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार पूरा किया।
कबीर दास की रचनाएँ –
- अठपहरा
- अमर मूल
- अर्जनाम कबीर का
- अलिफ़ नामा
- अगाध मंगल
- उग्र गीता
- कबीर की वाणी
- कबीर अष्टक
- कबीर गोरख की गोष्ठी
- अनुराग सागर
- कबीर की साखी
- कबीर परिचय की साखी
- कर्म कांड की रमैनी
- काया पंजी
- चौतीसा कबीर का
- जन्म बोध
- तीसा जंत्र
- नाम महातम की साखी
- निर्भय ज्ञान
- पुकार कबीर कृत
- वारामासी
- बीजक
- व्रन्हा निरूपण
- मुहम्मद बोध
- मगल बोध
- रमैनी
- राम रक्षा
- राम सार
- रेखता
- विचार माला
- विवेक सागर
- भक्ति के अंग
- शब्द अलह टुक
- शब्द वंशावली
- शब्दावली
- संत कबीर की बंदी छोर
- सननामा
- साधो को अंग
- स्वास गुज्झार
- हिंडोरा वा रेखता
- ज्ञान गुदड़ी
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
साखी, सबद, रमैनी
1518 ईस्वी में।
ऐसा माना जाता है कि महान कवि, संत कबीर दास का जन्म 1440 में पूर्णिमा पर ज्येष्ठ के महीने में वाराणसी में हुआ था।
गुरु रामानंद जी।
गुरु रामानंद जी।
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नोट- यह संपूर्ण बायोग्राफी का श्रय हम कबीर दास जी को देते हैं क्योंकि ये पूरी जीवनी उन्हीं के जीवन पर आधारित है और उन्हीं के जीवन से ली गई है। उम्मीद करते हैं यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। हमें कमेंट करके बताइयेगा कि आपको यह आर्टिकल कैसा लगा?
Kabir Das Ka Jivan Parichay bahut hi badhiya likha hai aapne
thanks