K D Jadhav Biography in Hindi | देश के लिए पहला ओलंपिक मैडल

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K D Jadhav Biography in Hindi – age, DOB, family, career, award, death, and more (के डी जाधव की जीवनी हिंदी में – उम्र, जन्मतिथि, परिवार, करियर, पुरस्कार, मृत्यु, और बहुत कुछ)

कौन हैं के डी जाधव? | Who is KD Jadhav?

केडी जाधव जिनका पूरा नाम खाशाबा दादासाहेब जाधव है, यह भारतीय एथलीट थे, जो एक पहलवानी के रूप में जाने जाते थे। इनका 15 जनवरी 1926 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था। केडी जाधव ने साल 1992 के हेल्सिंकी में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में ब्रोंज मेडल जीतने वाले भारत के पहले स्वतंत्र एथलीट थे। कुश्ती में उनके योगदान के लिए केडी जाधव को मरणोपरांत साल 2000 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

K D Jadhav Biography in Hindi | के डी जाधव का जीवन परिचय

name/नामकेडी जाधव
nickname/उपनामपॉकेट डायनेमो
केडी
DOB/जन्म तिथि15 जनवरी 1926
birthplace/जन्म स्थानमहाराष्ट्र
profession/पेशापहलवानी
family/परिवारदादासाहेब यादव/ श्रीमती पुतलीबाई
famous for/प्रसिद्धपहला ओलंपिक मेडल के रूप में
height/ऊँचाई1.67 मीटर (5 फीट 6 इंच)
weight/वजन54 किग्रा
death/मृत्यु14 अगस्त 1984
age (मृत्यु के समय)(आयु 58)
nationality/राष्ट्रीयताभारतीय
K D Jadhav Biography in Hindi

K D Jadhav in Hindi – के डी जाधव के बारे में

भारत के लिए ओलंपिक में पहला मेडल जीतने वाले केडी जाधव का जन्म 15 जनवरी 1926 को महाराष्ट्र राज्य के सतारा जिले में कराड तालुका के गोलेश्वर नामक गांव में हुआ था। परिवार में उनके पिता का नाम दादासाहेब यादव और माता का नाम श्रीमती पुतलीबाई है। केडी जाधव ने अपनी शिक्षा सातारा जिले के कराड तालुका के तिलक हाई स्कूल से प्राप्त की।

आज दुनिया भर में भारत का नाम रोशन करने वाले केडी जाधव ने अपना सफर कोल्हापुर के कॉलेज से शुरू किया जहां उन्होंने रेसलिंग करने का ठान लिया था। लेकिन कॉलेज वालों ने उनके इस विचार को ठुकरा दिया, लेकिन जाधव का मन अब रेसलिंग में जा चुका था जिसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की और अपने दम पर ओलंपिक का सफर तय किया।

K D Jadhav story in Hindi | के डी जाधव की सफलता की कहानी

कॉलेज के दिनों में केडी जाधव को रेसलिंग में काफी दिलचस्पी थी, वह चाहते थे कि कॉलेज के एनुअल स्पोर्ट्स मीट में उन्हें हिस्सा मिले , लेकिन स्पोर्ट कोच ने मना कर दिया, जिसके बाद केडी जाधव ने प्रिंसिपल के पास दरख्वास्त लगाते हुए प्रिंसिपल से इजाजत मांग ली, जिसके बाद केडी जाधव ने अपने आप को रेसलिंग में साबित करने के लिए खुद से ज्यादा ताकतवर और अनुभवी रेसलर से रेसलिंग की ओर करारी हार दी।

लेकिन जाधव का असली कैरियर तब शुरू हुआ जब उन्हें साल 1948 के लंदन ओलंपिक में हिस्सा लिया, जानकारी के लिए बता दें कि उस समय ओलंपिक में जाने के लिए किसी सरकार की मदद के बगैर ही खिलाड़ियों को खुद ओलंपिक में जाने का इंतजाम करना पड़ता था। ऐसे में केडी जाधव के परिवार में आर्थिक स्थिति इतनी सही नहीं थी कि, वह ओलंपिक में हिस्सा लें, लेकिन कहते हैं ना हौसले बुलंद हो तो डरने की क्या बात, जाधव अंग्रेजों के देश में देश का तिरंगा लहराना चाहते थे, और उनके जज्बे को देखते हुए कोल्हापुर के महाराजा ने उनकी मदद के लिए लंदन जाने का सारा खर्चा उठाया , जिसके बाद जाधव ने लंदन के ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया। उन्होंने छठे नंबर पर स्थान प्रात किया, लेकिन उनसे अनुभवी विशेषज्ञों ने उनकी बेहद सराहना की और हौसला बढ़ाया।

भारत के लिए पहला ओलंपिक मेडल जीतने का सफर

इसके ठीक कुछ सालों बाद 1952 में भी ओलंपिक खेलों में केडी जाधव ने हिस्सा लिया। लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं था, क्योंकि इस ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए केडी जाधव और उनके सहयोगी को पैसे की पूर्ति करने के लिए कई चीजे दांव पर लगा दी, यही नहीं उनके कॉलेज के दिनों के प्रिंसिपल ने अपना घर गिरवी रख कर जाधव को ₹7000 दिए और उनकी मदद की। उसके बाद राज्य सरकार ने भी उन्हें ₹4000 दिए। लेकिन यह इतने पैसे नहीं थे कि वह 1952 के ओलंपिक में हिस्सा ले सकें जिसके बाद जाधव ने पैसे की पूर्ति के लिए अपना घर गिरवी रख दिया और कई लोगों से उधार लेकर ओलंपिक में कदम रखा।

जाधव अब उस ओलंपिक में पहुंच गए थे, जहां से उन्हें पूरी दुनिया में पहचान मिली थी। साल 1952 में हेलिंस्की ओलंपिक में हिस्सा लेने के बाद उन्होंने अपनी बेहतरीन शुरुआत करते हुए शुरुआती पांच मुकाबले एकतरफा अपने नाम किए लेकिन छठे मुकाबले में वह जापान के खिलाड़ी से हार गए। जिसके बाद उनका अगला मुकाबला रूस के पहलवान से था। अगला मुकाबला केडी यादव और रूस के खिलाड़ी के साथ हुआ जहां केडी जादा की हार हुई लेकिन उन्होंने देश के लिए तीसरा स्थान प्राप्त करते हुए ब्रोंज मेडल अंपने नाम किया।

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नोट– यह संपूर्ण बायोग्राफी का क्रेडिट हम केडी जाधव को देते हैं, क्योंकि ये पूरी जीवनी उन्हीं के जीवन पर आधारित है और उन्हीं के जीवन से ली गई है। उम्मीद करते हैं यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। हमें कमेंट करके बताइयेगा कि आपको यह आर्टिकल कैसा लगा?