गुरु नानक जी का जीवन परिचय | क्यों मनाते है, गुरु नानक जयंती?

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Guru Nanak Biography in Hindi आज के इस पोस्ट में आपको सिखों के पहले गुरु नानक जी के जीवन के बारे में जानने को मिलेगा, जिन्होंने अपनी यात्रा में धार्मिक सुधार मानव के कल्याण के जीवन में समर्पित कर दिया। और साथ ही जानेंगे क्यों गुरु नानक जयंती मनाई जाती है, तथा साथ ही उनके जीवन पर भी एक नजर डालेंगे।

गुरु नानक जी का जीवन परिचय | Guru Nanak Biography in Hindi

गुरु नानक जी जिन्हे गुरु नानक देव जी के नाम से जाना जाता है, यह सिखों के प्रथम गुरु हैं, जिन्हें लोग नानक, नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह नामों से संबोधित करते हैं। इनका जन्म अप्रैल 1469 को तलवंडी गांव में माना जाता है। गुरु नानक देव जी के व्यक्तित्व में एक दार्शनिक एक योगी एक गृहस्थी एक धर्म सुधारक एक समाज सुधारक एक कवि और एक देशभक्त के गुण थे। गुरु नानक जी की मृत्यु 22 सितंबर 1540 ईस्वी में पाकिस्तान के करतारपुर में हुई थी।

नामगुरु नानक देव
जाने जातेसिखों के प्रथम गुरु
जन्मअप्रैल 1469
जन्म स्थानतलवंडी (पाकिस्तान में पंजाब प्रांत का एक नगर )
कार्यदार्शनिक, धर्म सुधारक, समाज सुधारक, और कवि
परिवारपिता का नाम मेहता कालू
माता का नाम तृप्ता देवी
माता का नाम तृप्ता देवी
पत्नीमाता सुलखनी
पुत्रश्रीचंद और लखमी दास
मृत्यु22 सितंबर 1539
मृत्यु स्थानकरतारपुर
Guru Nanak Biography in Hindi

प्रारंभिक जीवन – guru nanak ji story in hindi

गुरु नानक साहब यानि गुरु नानक देव जी का जन्म तलवंडी नामक गांव में रावी नदी के किनारे स्थित कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था। बता दें कि तलवंडी पाकिस्तान में पंजाब प्रांत का एक नगर है, जो आगे चलकर गुरु नानक जी के नाम पर ननकाना पड़ गया। गुरु नानक देव जी खत्री यानी क्षेत्रीय कुल में जन्मे थे, कुछ विद्वान लोगों का मानना है कि गुरु नानक जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को हुआ था, लेकिन प्रचलित तिथि के चलते गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा को अक्टूबर नवंबर के दिवाली के 15 दिन बाद मानते हैं।

नानक जी के परिवार में उनके पिता का नाम मेहता कालू चंद खत्री तथा माता का नाम तृप्ता देवी है। गुरु नानक देव जी के पिता एक पटवारी जाने सरकारी कर्मचारी थे, इसलिए वह भी चाहते थे कि उनका पुत्र यानी गुरु नानक जी आगे चलकर सरकारी पद प्राप्त करें इसलिए उन्होंने गुरु नानक जी को उचित शिक्षा प्राप्त करने पर जोर दिया। उन्होंने गुरु नानक जी को हिंदी संस्कृत के साथ-साथ फारसी भाषा की शिक्षा भी दी। हालांकि उन्हें पढ़ने लिखने में कोई दिलचस्पी नहीं थी इसलिए उनके पिता ने गुरु नानक जी को खेती बाड़ी का काम सिखाया लेकिन वहां भी उनका मन नहीं लगा इसके विपरीत गुरु नानक देव जी का अध्यात्मिक धर्म तथा सांसारिक विषयों के क्षेत्र में काफी रुचि थी जिसके चलते बचपन से ही उनमें प्रखर बुद्धि के लक्षण दिखाई देने लगे।

गुरु नानक जी का विवाह –

16 साल की उम्र में गुरु नानक जी का विवाह गुरदासपुर जिले के लखोंकी नामक स्थान के रहने वाले मुला की कन्या सुलखनी से हुआ था। और लगभग 32 वर्ष की अवस्था में इनका पहला पुत्र श्री चंद का जन्म हुआ तथा 4 वर्ष बाद उनका दूसरा पुत्र लखमीदास का जन्म हुआ। यहां से गुरु नानक देव जी का अपने ग्रस्त जीवन में मन नहीं लगता था जिसके चलते उन्होंने अपना परिवार और घर त्याग करने का सोचा और निकल गए अपने मित्र के साथ तीर्थ यात्रा पर।

उदासियाँ (about guru nanak dev ji in hindi )

अपना घर त्याग करने के बाद गुरु नानक जी ने अन्य चार साथियों मरदाना, लहना, बाला और रामदास भी उनकी इस यात्रा में शामिल हुए। 1521 तक उन्होंने कई यात्राएं की और अपनी यात्रा के दौरान वह सब को उपदेश देते और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जागरूक करते थे। उन्होंने यात्रा के दौरान भारत का भ्रमण किया साथ ही उन्होंने भारत के दक्षिण क्षेत्र श्रीलंका तथा अन्य देश अफगानिस्तान और मध्य एशिया के देशों में यात्राएं की । इन यात्राओं को पंजाबी में उदासियां के नाम से जाना जाता है।

गुरु नानक जी को शुरू से ही सन्यासियों तथा सांसारिक विषय में रुचि थी जिसके चलते वह अपनी यात्रा के दौरान लोगों का जमावड़ा इकट्ठा करने में सफल होते थे और जागरूक करते थे। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया उन्होंने रूढ़िवादी सोच का विरोध किया और अपने आखिरी समय पाकिस्तान के करतारपुर में बिताया। उनकी मृत्यु 22 सितंबर 1539 को करतारपुर में हुई थी। जाते-जाते उन्होंने अपने तीन मूल सिद्धांत जपो, कीरत करो और बंडा चखो थे। साथ ही गुरु नानक देव जी अपनी मृत्यु से पहले अपने शिष्य भाई लहना को उत्तराधिकारी बना गए जो आगे चलकर गुरु अंगद देव के नाम से प्रसिद्ध हुए। यह सिखों के दूसरे गुरु माने जाते हैं।

आखिर क्यों मनाई जाती है गुरु नानक जयंती?

यह तो सभी जानते हैं, गुरु नानक देव जी सिख समुदाय के पहले गुरु और इस धर्म के संस्थापक भी थे। उन्होंने कई देशों में यात्रा की और अपने उपदेश देकर लोगों की भलाई और मानव समाज के कल्याण के लिए समर्पित कर दी। इसलिए हर साल गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस दिन सिख धर्म के लोग गुरु नानक जयंती के रूप में मनाते हैं और इस दिन पंजाबी समुदाय के लोग ढोल मंजीरे के साथ-साथ प्रभात फेरी भी निकालते हैं।

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नोट- यह संपूर्ण बायोग्राफी का श्रय हम गुरु नानक जी को देते हैं क्योंकि ये पूरी जीवनी उन्हीं के जीवन पर आधारित है और उन्हीं के जीवन से ली गई है। उम्मीद करते हैं यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। हमें कमेंट करके बताइयेगा कि आपको यह आर्टिकल कैसा लगा?