Gulzarilal Nanda Biography in Hindi | गुलजारीलाल नंदा जीवनी

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Who is Gulzarilal Nanda ? ( गुलजारीलाल नंदा कौन है? )

Gulzarilal Nanda Biography in Hindi – गांधी के विचार पर चलने वाले तथा सिर पर गांधी टोपी, पतले से और आंखों पर चश्मा पहने हुए गुलजारीलाल नंदा एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने देश की राजनीति को करीब से देखा था। साथ ही बुरे हालात में देश को संभालने का काम इस महान राजनीतिज्ञ गुलजारी लाल नंदा जी ने किया।

गुलजारी लाल नंदा एक महान भारतीय राजनीतिज्ञ थे। इनका जन्म 1898 में पंजाब-पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था । यह भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने 27 मई 1994 को प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के पश्चात प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया. हालांकि सबसे कम समय तक प्रधानमंत्री की कुर्सी को संभाला हो लेकिन गुलजारीलाल नंदा शुरू से ही साधारण व्यक्ति और गांधीवादी विचारधारा से देश की सेवा की।

कुर्ते पजामे में दिखने वाले गुलजारीलाल नंदा पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने दो बार प्रधानमंत्री की कुर्सी का पद ग्रहण किया हो, साथ ही राजनीति से संन्यास लेने के बाद अधिकांश समय अपने परिवार के साथ बिताया। देश के प्रति उनकी सच्ची प्रेम भक्ति उनके व्यक्तित्व को दर्शाती है। इसके लिए उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया किया गया है।

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fAQ ( सामान्य प्रश्न )information ( जानकारी )
name/ नाम गुलजारी लाल नंदा
DOB/जन्म तिथि4 जुलाई 1998 – (पाकिस्तान के सियालकोट में)
profession/पेशासामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री
parents /माता-पिताबुलाकी राम नंदा/ श्रीमती ईश्वर देवी
Caste And Religion/ हिन्दू, खत्री
wife/पत्नीलक्ष्मी देवी
childs/बच्चे2 पुत्र 1 पुत्री
career start/करियर की शुरुआत राजनीतिज्ञ ( politics )
politics party/राजनीति दलभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
PM in India/ भारतीय पीएमदो बार
awards/ पुरस्कारभारत रत्न पुरस्कार
books /किताबेंगुरु तेग बहादुर, संत एंड सीनियर
death/मृत्यु15 जनवरी 1998 को
nationality/राष्ट्रीयता भारतीय

प्रारंभिक जीवन ( Gulzarilal Nanda Biography in Hindi )

गुलजारी लाल नंदा जिन्हें नंदा जी के नाम से भी जाना जाता है, इनका जन्म 4 जुलाई 1998 को पाकिस्तान के सियालकोट में स्थित गढथल जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम बुलाकी राम नंदा था जो कि पूंछ के एक स्कूल में अध्यापक थे। तथा उनकी मां का नाम श्रीमती ईश्वर देवी था उनकी तीन संतान थी गुलजारी लाल नंदा और उनकी दो बहने जिनका नाम मेला और पार्वती देवी था।

गुलजारी लाल नंदा जी की शुरुआती पढ़ाई अपने नाना के घर हुई थी। बाद में दसवीं कक्षा पास करने के बाद उन्होंने लाहौर के फोरमैन क्रिस्चियन तथा आगरा के कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की,और इलाहाबाद के विश्वविद्यालय में एम.ए की डिग्री के लिए प्रवेश किया और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही नंदा जी को एम.ए में अर्थशास्त्र और कानून की डिग्री प्राप्त हुई।

साल 1921 में शोध प्रबंधक के लिए सामग्री जुटाने के लिए नंदा जी ने अलग-अलग स्थानों का दौरा किया जिसके चलते अप्रैल में उनकी मुलाकात देश के बापू कहे जाने वाले महात्मा गांधी जी से हुई।

इसी बीच नंदा जी गांधी जी से काफी प्रभावित हुए और महात्मा गांधी जी के असहयोग आंदोलन में जुड़ गए। गुलजारी लाल नंदा का श्रमिकों के साथ संबंध काफी गहरा था, यही कारण है कि वह श्रमिकों की समस्याओं को लेकर सदैव जागरूक रहते थे, और उनका निवारण करने का प्रयास करते रहते थे। लेकिन कहते हैं ना कुछ करने के लिए कुछ खोना पड़ता है, कुछ ऐसा ही हुआ नंदा जी के साथ। साल 1932 में सत्याग्रह आंदोलन और 1942 से 1944 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय उन्हें जेल भी जाना पड़ा।

politics career ( राजनीति करियर )

गुलजारी लाल नंदा ने अपनी राजनीतिक कैरियर तब शुरू किया जब उन्हें मुंबई के विधानसभा में 1937 से 1939 तक और 1947 से 1950 तक विधायक रहे। साथ ही नंदा जी ने मजदूरों के लिए बहुत से कार्य किए जिसके लिए उन्हें काफी लोकप्रियता मिली इन्हीं के प्रयासों से राष्ट्रीय मजदूर आंदोलन की नींव पड़ी। उन्होंने अपना भला ना देखते हुए मजदूरों के बारे में काफी सहायता की।

दिल्ली में आने के बाद गुलजारी लाल नंदा जी 1950 से 1951, 1952 से 1953 और 1960 से 1963 में भारत के योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे और कई सरकारों में अपनी सहायता प्रदान की। इसके बाद गुलजारीलाल नंदा केंद्रीय मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहे और स्वतंत्र मंत्रालय का कार्यभार संभाला।

जानिए भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बारे में, जिन्होंने चाचा नेहरू के नाम से भी जाना जाता है।

दो बार प्रधानमंत्री बनने वाले पहले राजनीतिज्ञ –

दो बार भारत के प्रधानमंत्री बनने वाले गुलजारी लाल नंदा पहली बार देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद 27 मई 1964 को भारत के प्रधानमंत्री घोषित किए गए नंदा जी अपने कार्यालय में सिर्फ 13 दिन तक प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया था इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री घोषित किए गए जिनका कार्यालय 1 साल 206 दिन चला बाद में लाल बहादुर शास्त्री के मृत्यु के बाद द्वारा गुलजारी लाल नंदा को प्रधानमंत्री घोषित किया हालांकि इस बार भी इनका कार्यालय 13 दिन तक रहा। 

गुलजारी लाल नंदा को भारत रत्न कब मिला ?

गुलजारी लाल नंदा को देश के प्रति महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए देश का सर्वोच्च सम्मान 1997 में भारत रत्न और दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पुरस्कार पद्म विभूषण प्रदान किया गया ।

लेखक के रूप में कार्य – ( Work as a writer )

गुलजारी लाल नंदा एक अच्छे राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक अच्छे लेखक भी थे जिन्होंने सम ओस्पेक्टस खादी, गुरु तेग बहादुर संत एंड सेवियर और द अहमदाबाद टेक्सटाल्स नाम की पुस्तकों की रचना की।

गुलजारी लाल नंदा की मृत्यु कब हुई ?

देश के सर्वश्रेष्ठ राजनेता गुलजारी लाल नंदा जी की मृत्यु करीब 100 वर्ष की अवस्था में 15 जनवरी 1998 को हुई। तथा इनकी समाधि नारायण घाट नामक स्थल पर बनी हुई है। इन्हे एक स्वच्छ छवि वाले गांधीवादी राजनेता के रूप में सदैव याद किया जायेगा। उनकी देश के प्रति सच्ची भावनाएं हर इंसान को प्रेरित करती है।

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नोट – हम इस पूरी बायोग्राफी का श्रेय गुलजारी लाल नंदा को देते हैं। क्योकि यह पूरी जीवनी गुलजारी लाल नंदा के जीवन पर आधारित है, हमने बस उनके जीवन पर प्रकाश डालने का एक छोटा सा प्रयास किया है। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताइयेगा और उम्मीद करते है आप इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करेंगे.