Dhyan Chand Biography in Hindi | हॉकी के जादूगर

You are currently viewing Dhyan Chand Biography in Hindi | हॉकी के जादूगर

Dhyan Chand Biography in Hindi – age, family, bio, career, hockey career, award and achievements ( ध्यानचंद जीवनी हिंदी में – उम्र, परिवार, जीवनी, करियर, हॉकी करियर, पुरस्कार और उपलब्धियां )

मेजर ध्यानचंद कौन है? (Who is Major Dhyan Chand)

ध्यान सिंह जिन्हे मेजर ध्यानचंद या हॉकी का जादूगर के रूप में जाना जाता है। यह भारतीय हॉकी खिलाडी तथा भूतपूर्व भारतीय राष्ट्रीय हॉकी टीम के कप्तान थे। इनका जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहबाद में हुआ था। यह भारत एवं विश्व के हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाडियों में से एक है, जिन्होंने अपने जीवन में हॉकी खेल में भारत को सर्वश्रेष्ठ बनाये रखा। वे तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य थे, जिन्होंने अपने जीवन खेल में 1000 से अधिक गोल दागे। उन्हें साल 1956 में भारत के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था।

Dhyan Chand Biography in Hindi | ध्यानचंद का जीवन परिचय

name/नामध्यान सिंह, ध्यानचंद
know for/जाने जातेहॉकी का जादूगर
dOB/जन्म29 अगस्त 1905
birthplace/जन्मस्थानइलाहबाद
profession/पेशाभूतपूर्व भारतीय खिलाडी
family/परिवारपिता – सूबेदार समेश्वर दत्त सिंह (आर्मी में सूबेदार)
माता – शारदा सिंह
पत्नी – जानकी देवी
भाई – हवलदार मूल सिंह एवं रूप सिंह
wife/पत्नीजानकी देवी
sport/खेलहॉकी
hight/ऊंचाई5 फीट 7 इंच 
age (मृत्यु के समय)74 साल (1979)
award/पुरस्कारपद्मभूषण
religion/धर्महिन्दू
nationality/राष्ट्रीयताभारतीय

major Dhyan Chand (hockey) Biography in Hindi

एक महान खिलाडी बनने वाले ध्यानचंद की कहानी की शुरुआत 29 अगस्त 1905 को शुरू हुई जब इनका जन्म उत्तरप्रदेश के इलाहबाद में हुआ था। वे राजपूत परिवार से ताल्लुक रखते थे. जिसमे उनके पिता का नाम समेश्वर सिंह था, जो ब्रिटिश इंडियन आर्मी में एक सूबेदार के रूप कार्यरत थे, वही उनकी माँ का नाम शारदा सिंह था। इसके अलावा ध्यानचंद के परिवार में उनके दो भाई थे, जिनका नाम मूल सिंह और रूप सिंह था . रूप सिंह भी अपने भाई ध्यानचंद की तरह एक हॉकी खिलाडी थे।

ध्यान सिंह से ध्यानचंद बनने का सफर

ध्यानचंद का शुरुआती नाम ध्यान सिंह था, लेकिन 16 साल की उम्र में भारतीय सेना में एक सिपाही के रूप में शामिल हुए, जहाँ उन्होंने हॉकी खेलना शुरू कर दिया और क्‍योंकि ध्‍यानचंद रात में चांद की रोशनी में हॉकी का अभ्‍यास करते थे, इसलिए उनके दोस्‍त उन्‍हें चांद कहने लगे, जिसके बाद उन्‍हें ध्‍यानचंद के नाम से जाना जाने गया।

क्यों कहा जाता था हॉकी का जादूगर ?

जब ध्‍यानचंद सेना में भर्ती थे, तब रेजिमेंटल मैच खेलते हुए 1922 और 1926 के बीच सबका ध्‍यान अपनी तरफ आकर्षित किया। एक शानदार आर्मी खिलाडी तथा अपने बेहतरीन खेल कौशल के कारण ध्‍यानचंद न्यूजीलैंड में एक टूर्नामेंट के लिए ध्यानचंद को टीम में शामिल किया गया। इस दौरे पर टीम ने कुल 21 मैच खेले जिसमे 18 मैच जीते जबकि दो ड्रॉ रहे और सिर्फ एक हारे। प्रतियोगिता में एक मैच के दौरान भारतीय टीम ने 20 गोल किये थे, जिसमें से 10 तो अकेले ध्यानचंद ने किये। भारत लौटने पर ध्‍यानचंद को उनके खेल प्रतिभा के कारण लांस नायक के पद पर पदोन्नत किया गया।

इसके बाद ध्यानचंद को वो सफलता प्राप्त हुई, जो किसी ने नहीं सोचा होगा की, आगे चलकर यह खिलाडी हॉकी के रूप में जाना जायेगा क्योकि साल 1928 में पहली बार ध्यानचंद ने ओलम्पिक खेलो में भाग लिया, ओलम्पिक खेलों में पहली बार भारतीय टीम ने भी भाग लिया। 1928 में एम्स्टर्डम ओलिंपिक खेलो भारतीय टीम का फाइनल मैच नीदरलैंड के साथ हुआ था, जिसमें 3 गोल में से 2 गोल ध्यानचंद ने मारे थे, और भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया था।

भारतीय टीम का बनाया गया कप्तान

साल 1932 में लासएंजिल्स ओलिंपिक खेलो में भारत ने दुबारा फाइनल में जीत हासिल की और फाइनल मैच अमेरिका को 23-1 से करारी शिकस्त देकर स्वर्ण पदक हासिल किया। 1936 के बर्लिन ओलंपिक खेलों में ध्यानचंद को भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया। जिसके बाद भारत ने ओलंपिक हॉकी फ़ाइनल में जर्मनी को 8-1 से हरा दिया था। और ध्यानचंद के नेतृत्व में भारत को हॉकी में तीसरा स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ। उन्होंने अपने खेल जीवन में 1000 से अधिक गोल दागे। जब वो मैदान में खेलने को उतरते थे तो गेंद मानों उनकी हॉकी स्टिक से चिपक सी जाती थी। और गोल करने में नहीं चूकते। इन्ही सब खूबियों के कारण ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता था।

Dhyan Chand Award (पुरस्कार और उपलब्धियां )

  • 1956 में भारत के दुसरे सबसे बड़े सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित।
  • ध्यानचंद की याद में डाक टिकट शुरू की गई थी।
  • सरकार द्वारा राजीव गाँधी पुरस्कार के बदले ध्यानचंद पुरस्कार को मान्यता दी।
  • मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार भारत सरकार द्वारा भारतीय खेलों में उनके योगदान का सम्मान करने के लिए उनके नाम पर रखा गया है।

निधन

  • उनका देहांत 3 दिसंबर 1979 को हुआ था।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

मेजर ध्यानचंद की मृत्यु कब हुई थी?

3 दिसंबर 1979

मेजर ध्यानचंद सिंह कौन है?

ध्यानचंद एक भारतीय हॉकी खिलाड़ी थे।

मेजर ध्यान चंद के पिता का नाम क्या था?

सूबेदार समेश्वर दत्त सिंह।

मेजर ध्यानचंद का उपनाम क्या है?

“द विजार्ड” के नाम से भी जाना जाता है।

see also – इन्हें भी पढ़ें

sunil chhetri biography in hindi

indian actress kajol biography in hindi

नोट– यह संपूर्ण बायोग्राफी का क्रेडिट हम मेजर ध्यानचंद को देते हैं, क्योंकि ये पूरी जीवनी उन्हीं के जीवन पर आधारित है और उन्हीं के जीवन से ली गई है। उम्मीद करते हैं यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। हमें कमेंट करके बताइयेगा कि आपको यह आर्टिकल कैसा लगा?